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Showing posts from March, 2022

*मजाक में कुफ्र बोलना (पार्ट 2)*

*मजाक में कुफ्र बोलना (पार्ट 2)* *➪* किसी ने कहा *अच्छा है जहन्नम में जायेंगे , क्योंकि फिल्मी एक्टर्स भी वही होंगे* ..... ये जुम्ला कुफ्रिया है , अगरचे बोलने वाला कहे के मेने मजाक में बोला है .... हुजूर सदरुश्शरीआ मुफ्ती अमजद अली आजमी रहीमहुल्लाह फरमाते है : जो ब तौरे तमस्खूर और ठठ्ठा (मस्ती मजाक में) कुफ्र कहेगा वो भी मुर्तद (काफिर) हो जायेगा , अगर्चे कहे के में ऐसा एतेकाद (अकीदा) नही रखता *➪*  एक कॉमेडियन ने कहा के "तुम लोग जन्नत में चले भी जाओ तो सिगरेट जलाने के लिए हमारे पास (जहन्नम) में आना पड़ेगा ..... ये कौल कुफ्रिया है अगरचे केहने वाले ने मजाक मे कहा .... *➪* किसी ने *सुब्हान अल्लाह* का मजाक उड़ाने के गरज से *सुब्हान हलवा* कहा तो ये कुफ्र है क्योंकि जिक्रे इलाही का मजाक उड़ाना कुफ्र है *(کفریہ کلمات کے بارے میں سوال جواب ، صفحہ 499,500,502)* जिस ने जाने अंजाने में कुफ्र किया , शरीअत का हुक्म है के वो शख्स तौबा करे , कलमा पढ़ कर तजदीदे ईमान करे और अगर शादी शुदा था तो फिर से निकाह करे और किसी का मुरीद था तो तजदीदे बैअत करे .... *ये मेसेज दूसरों को भेजकर सवाब के हक़दार बनें*

कुफ़्र की बातें* ☆02

*कुफ़्र की बातें* ☆02 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ *(3)* किसी से कहा कि ان شاء الله तुम इस काम को करोगे,उस ने कह दिया कि "अजी मैं बिगैर ان شاء الله के करूंगा।" काफ़िर हो गया।  *(4)* किसी मालदार को देख कर येह कह दिया कि "आखिर येह कैसा इन्साफ़ है कि इस को मालदार बना दिया मुझे ग़रीब बना दिया।" येह कहना कुफ़्र है।  *(5)* अवलाद वगैरा के मरने पर रंज और गुस्से में इस किस्म की बोलियां बोलने लगे कि खुदा को बस मेरा बेटा ही मारने के लिये मिला था। दुन्या भर में मारने के लिये मेरे बेटे के सिवा खुदा को दूसरा कोई मिलता ही नहीं। खुदा को ऐसा जुल्म नहीं करना चाहिये था। अल्लाह ने बहुत बुरा किया कि मेरे एकलौते बेटे को मार कर मेरा घर बे चराग़ कर दिया। इस क़िस्म की बोलियां बोल देने से आदमी काफ़िर हो जाता है। _✍🏻बाकी अगली पोस्ट मे..ان شاء الله_ *📓जन्नती जे़वर 200* ●•●┄─┅━━━━━★✰★━━━━━┅─●•● *ये मेसेज दूसरों को भेजकर सवाब के हक़दार बनें* ═══════✬∘◦✬∘◦❁◦∘✬◦∘✬ ═══════ *दीनी मेसेज पढ़ने के लिए हमारे ग्रुप से जुड़ें और अपने

कुफ़्र की बातें* ☆01

*कुफ़्र की बातें* ☆01 بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ इस ज़माने में जहालत की वजह से कुछ मर्द और औरतें इस क़दर बे लगाम हैं कि जो उन के मुंह में आता है बोल दिया करते हैं। चुनान्चे बा'ज़ कुफ़्र के अल्फ़ाज़ भी लोगों की जुबानों से निकल जाते हैं और लोग खारिजे इस्लाम हो जाते हैं और उन का निकाह टूट जाता है मगर उन्हें ख़बर भी नहीं होती कि वोह इस्लाम से खारिज हो गए और उन का निकाह टूट गया। इस लिये हम यहां चन्द कुफ़्र की बोलियों का जिक्र करते हैं। ताकि लोगों को इन कुफ़्रिय्यात का इल्म हो जाए और लोग इन बातों को बोलने से हमेशा ज़बान रोके रहें। और अगर खुदा न ख्वास्ता येह कुफ्र अल्फ़ाज़ उन के मुंह से निकल गए हों तो फ़ौरन तौबा कर के नए सिरे से कलिमा पढ़ कर दाखिले इस्लाम हों और दोबारा निकाह करें।  *(1)* खुदा के लिये मकान और जगह साबित करना कुफ़्र है बा'ज़ लोग येह कह दिया करते हैं कि ऊपर अल्लाह नीचे पंच या ऊपर अल्लाह नीचे तुम येह कहना कुफ़्र है। *(2)* किसी से कहा गुनाह न करो वरना खुदा जहन्नम में डाल देगा। उस ने कहा *“मैं जहन्नम

मजाक में कुफ्र बोलना (1)

* मजाक में कुफ्र बोलना (पार्ट 1) * * ➪ * बाज लोगो को बहोत ज़्यादा हंसी मज़ाक करने की आदत होती है ..... और ये बात साफ है के इंसान हंसी मज़ाक में ऐसा बहोत कुछ बोल देता है जो आम हालात मे नहीं बोलता ..... * ➪ *  लेकिन कई बार ऐसे जुमले भी मुंह से निकल जाते है के उससे ईमान रुखसत हो जाता है मगर लोग ये समझते है के मजाक में कुफ्र बोल दिया तो उस में कोई हर्ज नहीं .... मआज अल्लाह , ये सरासर गलत है ..... क्या मजाक में जहर खाने से उसका असर नहीं होगा ....? फुकहा फरमाते है के मजाक में कुफ्र बोलना भी कुफ्र ही है * ➪ * बल्की खुद अल्लाह तआला ने कुरआन में ऐसे लोगो पर कुफ्र का फतवा सादीर फ़रमाया , चुनान्चे सुरह अत तौबा , आयत 65 , 66 में हे और ऐ मेहबूब अगर तुम इन से पूछो तो कहेंगे के हम तो यूंही हंसी खेल मे थे तुम फरमाओ क्या अल्लाह और उसकी आयते ओर उसके रसूलों से हंसते हो , बहाने न बनाओ  , मुसलमान होने के बाद तुम काफिर हो गए * ➪ * इसलिए जो बोले सोच समझ कर बोले ..... जिस ने जाने अंजाने में कुफ्र किया , शरीअत का हुक्म है के वो शख्स तौबा करे , कलमा पढ़ कर तजदीदे ईमान करे और अगर शादी शुदा था तो फिर से निक

इस्लाम ने औरत को क्या दिया ??

इस्लाम ने औरत को क्या दिया ? जिस वक्त औरत की पैदाइश मनहूस समझी जाती थी, बच्ची को ज़िंदा गाड़ दिया जाता था,विरासत में कोई हक नहीं बल्कि औरत को मर्द के मरने पर विरासत में तकसीम कर दिया जाता था, लिखने पढ़ने का हक न था, सती कर दिया जाता था, दासी, अस्वतंत्र, अशुभ उसका दर्जा था, उसको गिरवी रख सकते थे, उसको ढोर की तरह मारा जाता था, उसको जुए में रखते थे, उसको सिर्फ भोगने की चीज़ समझी जाती थी....  ऐसे समय इस्लाम ने क़ुरआन में औरतों के नाम से पूरी सूरत सूरह निसा: उतार दी,मर्दों के नाम से सूरह रिजाल नहीं उतारी। इस्लाम ने कहा कि लड़की की पैदाइश नहूसत नहीं, शर्मिंदगी और बोझ नहीं, बल्कि बहुत बड़ी नेअमत, खुदा की रहमत और बरकत है। इसको ज़िंदा दफ़न करना या मां के पेट में मार देना सबसे घिनौना कृत्य है जिसकी सज़ा जहन्नुम है। जिसकी जितनी ज़्यादा बेटियां वह उतना ही खुशकिस्मत और रसूलुल्लाह ﷺ से करीब..। औरत को चार जिहत से विरासत में हकदार बनाया, मां की हैसियत से, बेटी की हैसियत से, बहन की हैसियत से और बीवी की हैसियत से। औरत के साथ शादी के लिए महर देना फ़र्ज़ किया गया। उसकी इज़्ज़त और एहतेराम लाज़िम करार दिया गया। मां के कदमो

*कुफ्रिया गाने धार्मिक गीत छापने का हुक्म*

*कुफ्रिया गाने धार्मिक गीत छापने का हुक्म* *➪* जिन किताबो के अंदर कुफ्रिया कलिमात लिखे हुए हो , मसलन अल्लाह व रसूल की गुस्ताखी लिखी हुई हो या ऐसी किताब जिसमे वंदे मातरम या दूसरे धर्मो के मजहबी कुफ्रिया जुम्लेे लिखे हुए हो , कुफ्रिया भजन वगेरह लिखे हुए हो या फहश (गंदी) बाते , शायरी लिखी हुईं हो .... ऐसी किताब (Book) और अखबार छापना , छपवाना , कम्पोसिंग करना , या छापने में मदद करना , प्रिंटिंग मशीन चलाने वाला , ऐसी किताब बेचना , या ऐसी किताब दूसरो तक पहोचना या पहोचाने में मदद करना , या इसमें किसी तरह की मदद करने वाले पर ...... अल्लाह तआला की लानत उतरती है , ये लोग रसूलुल्लाह ﷺ के मुखालिफ , अपने ईमान के दुश्मन , अल्लाह की कहर की आग इनके लिए भड़कती है , ये लोग सुबह शाम अल्लाह के गजब में रहते है .... और जिस ने ये काम किया हो वो तौबा करे  *➪*  इसलिए ऐसी नोकरी करना जायज नहीं जिसमे ऐसी किताबे , अख़बार छापने के लिए काम करना पड़े या ऐसी किताब , अखबार दूसरो तक पहोचाने के लिए जाना पड़े  *➪*  क्योंकि कुरआन शरीफ की आयत का मफहूम है के  गलत काम में किसी तरह की मदद ना करो. ( तलखीसन फतावा रजविय्या , जिल्

कुफ्रिया कलिमात 1

* कुफ्रिया कलिमात * * ➪ *   जिस तरह कुछ जुम्ले (बातें) कुफ्रिया होती हैं .... जिस से बंदा इस्लाम से निकल जाता है .... उसी तरह कुछ फेल (काम) भी कुफ्रिया होते हैं .... जिसका करने वाला भी इस्लाम से निकल जाएगा ..... * ➪ *   जैसा कि बुत (मूर्ति) , चांद , सूरज को सज्दा करना .... कुरआन शरीफ की तौहीन करना ....  जुन्नार बांधना (जुन्नार यानी वो धागा जो ग़ैर मुस्लिम गले और बगल के दरम्यान डालते हैं) .... और वो धागा या जंजीर जो इसाई , यहूदी और मजूसी कमर में बांंधते है वो बांधना) ....  सर पर चुटिया रखना .... कश्का (माथे पर धार्मिक टीका, तिलक लगाना) .... * ➪ *   ऐसे काम करने वाला फूकहा के नजदीक काफिर है .... ऐसा शख्स तौबा करे .... फिर से कल्मा पढ़े .... अगर शादीशुदा था तो फिर से कल्मा पढ़े ..... * ➪ *  कुफ्रिया बात पर हंसने से क्या हुक्म लगेगा ??..... इस में दो सूरते है ..... * 1: बे इख्तियार हंसना * * 2: रजा मंदी में हंसना * * ➪ *  अगर कुफ्रिया बात ऐसी थी के बे इख्तियार हंसी निकल गई (जिसे आम ज़बान में कहते है के हंसी रुक ना सकी) ....तो इस सूरत में कुफ्र का हुक्म नहीं लगेगा (यानी इस शख्स को क

इस्तिग्फ़ार करने के फ़ज़ाइल

* इस्तिग्फ़ार करने के फ़ज़ाइल * بِسْــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ * (1) दिलों के जंग की सफाई * साहिबे कुरआने मुबीन,महबूबे रब्बुल आ-लमीन,जनाबे सादिको   अमीन ﷺ का फ़रमाने दिल नशीन है :- * बेशक लौहे की तरह दिलों को भी जंग लग जाता है और इस की जिला (या'नी सफ़ाई) इस्तिफ़ार करना है। * 📓مَحْمَعُ الْزَّوَائِد ج ۱۰ص۳٤٦ حديث ١٧٠٧٠ * (2) परेशानियों और तंगियों से नजात * महबूबे रब्बे जुल जलाल,साहिबे जूदो नवाल,शहन्शाहे खुश ख़िसाल,सुल्ताने शीरीं मकाल,पैकरे हुस्नो जमाल ﷺ का फ़रमाने दिल नशीन है :- * जिस ने इस्तिग्फ़ार को अपने ऊपर लाज़िम कर लिया अल्लाह उस की हर परेशानी दूर फ़रमाएगा और हर तंगी से उसे राहत अता फरमाएगा और उसे ऐसी जगह से रिज्क अता फरमाएगा जहां से उसे गुमान भी न होगा। * 📓سُنَن ابن ماجه ج٤ص٢٠٧ حديث ٣٨١٩ * (3) खुश करने वाला आ'माल नामा:- * नबिय्ये मुकर्रम,नूरे मुजस्सम,रसूले अकरम,शहन्शाहे बनी आदम ﷺ का फ़रमाने मुसर्रत निशान है :- * जो इस बात को पसन्द करता है कि उस का नामए आ'माल उसे खुश करे तो उसे चाहिये कि उस में इस्तिग्फ़ार का