कुफ़्र की बातें* ☆01

*कुफ़्र की बातें* ☆01
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
इस ज़माने में जहालत की वजह से कुछ मर्द और औरतें इस क़दर बे लगाम हैं कि जो उन के मुंह में आता है बोल दिया करते हैं। चुनान्चे बा'ज़ कुफ़्र के अल्फ़ाज़ भी लोगों की जुबानों से निकल जाते हैं और लोग खारिजे इस्लाम हो जाते हैं और उन का निकाह टूट जाता है मगर उन्हें ख़बर भी नहीं होती कि वोह इस्लाम से खारिज हो गए और उन का निकाह टूट गया। इस लिये हम यहां चन्द कुफ़्र की बोलियों का जिक्र करते हैं। ताकि लोगों को इन कुफ़्रिय्यात का इल्म हो जाए और लोग इन बातों को बोलने से हमेशा ज़बान रोके रहें। और अगर खुदा न ख्वास्ता येह कुफ्र अल्फ़ाज़ उन के मुंह से निकल गए हों तो फ़ौरन तौबा कर के नए सिरे से कलिमा पढ़ कर दाखिले इस्लाम हों और दोबारा निकाह करें। 
*(1)* खुदा के लिये मकान और जगह साबित करना कुफ़्र है बा'ज़ लोग येह कह दिया करते हैं कि ऊपर अल्लाह नीचे पंच या ऊपर अल्लाह नीचे तुम येह कहना कुफ़्र है।
*(2)* किसी से कहा गुनाह न करो वरना खुदा जहन्नम में डाल देगा। उस ने कहा *“मैं जहन्नम से नहीं डरता"* या येह कहा *"मुझे खुदा के अज़ाब की कोई परवाह नहीं”* या एक ने दूसरे से कहा कि क्या तू खुदा से नहीं डरता ? 
उस ने गुस्से में कह दिया कि *“मैं खुदा से नहीं डरता* या येह कह दिया कि *"खुदा कहां है* "येह सब कुफ़्र की बोलियां हैं।
_✍🏻बाकी अगली पोस्ट मे..ان شاء الله_
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