मजाक में कुफ्र बोलना (1)

*मजाक में कुफ्र बोलना (पार्ट 1)*

** बाज लोगो को बहोत ज़्यादा हंसी मज़ाक करने की आदत होती है ..... और ये बात साफ है के इंसान हंसी मज़ाक में ऐसा बहोत कुछ बोल देता है जो आम हालात मे नहीं बोलता .....

**  लेकिन कई बार ऐसे जुमले भी मुंह से निकल जाते है के उससे ईमान रुखसत हो जाता है मगर लोग ये समझते है के मजाक में कुफ्र बोल दिया तो उस में कोई हर्ज नहीं .... मआज अल्लाह , ये सरासर गलत है ..... क्या मजाक में जहर खाने से उसका असर नहीं होगा ....?

फुकहा फरमाते है के मजाक में कुफ्र बोलना भी कुफ्र ही है

** बल्की खुद अल्लाह तआला ने कुरआन में ऐसे लोगो पर कुफ्र का फतवा सादीर फ़रमाया , चुनान्चे सुरह अत तौबा , आयत 65 , 66 में हे

और ऐ मेहबूब अगर तुम इन से पूछो तो कहेंगे के हम तो यूंही हंसी खेल मे थे तुम फरमाओ क्या अल्लाह और उसकी आयते ओर उसके रसूलों से हंसते हो , बहाने न बनाओ  , मुसलमान होने के बाद तुम काफिर हो गए

** इसलिए जो बोले सोच समझ कर बोले ..... जिस ने जाने अंजाने में कुफ्र किया , शरीअत का हुक्म है के वो शख्स तौबा करे , कलमा पढ़ कर तजदीदे ईमान करे और अगर शादी शुदा था तो फिर से निकाह करे और किसी का मुरीद था तो तजदीदे बैअत करे ....

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