*रोज़े के तअल्लुक़ से ग़लत फहमियां और उनका दुरस्त जवाब*पार्ट 2

*रोज़े के तअल्लुक़ से ग़लत फहमियां और उनका दुरस्त जवाब*
पार्ट 2

6️⃣: चोट लगने पर खून निकल आए या खून टेस्ट कराने से रोज़े पर कुछ असर पड़ता है ?
*दुरुस्त मसला :*  जिस्म से कोई चीज़ बाहर आने पर रोज़ा नही टूटता इस लिए टेस्ट के लिए खून निकलने या ज़ख्मी होने पर खून बहने से। रोज़ा नही टूटेगा।

7️⃣: रोज़े की हालत में मिस्वाक नही की जा सकती,
*दुरुस्त मसला :* मिस्वाक की जा सकती है मगर ये ध्यान रहे के रेशे  हलक़ तक ना जाएं।

8️⃣: जब तक अज़ान होती रहे सेहरी में खाना पीना जारी रखा जा सकता है,
*दुरुस्त मसला :* जब सेहरी का वक़्त खत्म होता है तो अज़ाने फजर और नमाज़े फजर का वक़्त शुरू होता है लिहाजा जो सेहरी बंद होने के बावजूद अज़ान खत्म होने का इंतजार करते हुए खाता पीता रहा उसने अपना रोज़ा बर्बाद किया उसका रोज़ा हुआ ही नहीं।

9️⃣: रात में ग़ुस्ल फ़र्ज़ हो जाए तो अब कुल्ली  या नाक में पानी इफ़्तार के वक़्त ही डालेंगे।
*दुरुस्त मसला :* रोज़ा शुरू होने से पहले ग़ुस्ल फर्ज़ हो या रोज़े में एहतेलाम हो जाए तो सूरज डूबने का इंतजार नही करेंगे रोज़े की हालत में नहाना हो तब भी ग़ुस्ल के सब फराइज़ अदा किए जाएंगे, गुस्ल में कुल्ली करना और नाक में नरम हिस्से तक पानी पहुंचना फर्ज़ है उसके बेगैर ना ग़ुस्ल होगा न नमाज़े होंगी, याद रहे रोज़ा हो तो ग़रारा नही करेंगे और आम दिनों में भी ग़रारा ग़ुस्ल का फर्ज़ या कुल्ली का हिस्सा नही, यह एक अलग सुन्नत है वो भी उस वक़्त जब रोज़ा ना हो लेकिन रोज़े की हालत में नाक में पानी सांस के ज़रिए  ऊपर खींचने की इजाज़त नही।

1️⃣0️⃣: रोज़े की हालत में इंजेक्शन लगाने से रोज़ा टूट जायेगा।
*दुरुस्त मसला :* अगर ये सोच उन उलामा की पैरवी की वजह से है जिन के नज़दीक इंजेक्शन लगवाने से रोज़ा टूट जाता है तो ठीक, लेकिन ज़्यादा मज़बूत दलाइल की रोशनी मैं जवाब यह है कि इंजेक्शन लगने से रोज़ा नही टूटता और सख़्त ज़रूरत हो  ड्रॉप (drop) भी लगाई जा सकती है।

1️⃣1️⃣: रोज़े में इत्र या खुशबू सूंघने से रोज़ा चला जाता,
*दुरुस्त मसला :*  लिकवीड हालत में ठोस खुशबू सूंघने से रोज़ा नही जाता हैं अगर किसी ने अगरबत्ती का धुंआ मुंह या नाक के ज़रिए अंदर खींचा जो अनिवार्य रूप से हलक़ के अंदर जायेगा और इसी तरह किसी भी खुशबूदार या गैर-खुशबूदार धुआं की धूनी इस तरह ली कि उसके धुएं को नाक या मुंह से हलक़ मैं दाखिल किया तो रोज़ा टूट जाएगा।

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