रोज़े के तअल्लुक़ से ग़लत फहमियां और उनका दुरस्त जवाब *1*
*रोज़े के तअल्लुक़ से ग़लत फहमियां और उनका दुरस्त जवाब*
1️⃣: उल्टी आने से रोज़ा टूट जाता है।
*दुरुस्त मसला__* ख़ुद कितनी ही उल्टी आने से रोज़ा नही टूटता, लेकिन जान बुझ कर मसलन: उंगली वगेरह मुंह मैं डालकर उल्टी की और वो मुंह भर कर हो तो रोज़ा टूट जाता है!
जबके रोजेदार होना याद हो.
2️⃣:रोज़े की हालत में एहतेलाम हो जाए तो रोज़ा टूट जाता है।
*दुरुस्त मसला :* रोज़ा नही टूटता।
3️⃣: कुछ लोग समझते हैं कि थूक या बालघम (कफ) निगल जाने से रोज़ा टूट जायेगा या मकरूह हो जायेगा इसी बिना पर वो बार बार थूकते रहते हैं।
*दुरुस्त मसला :* थूक और बालघम जब तक मुंह मैं है इनको निगलने से रोज़ा नही टूटेगा, लेकिन मुंह से बाहर मसलन हथेली पर थूक कर फिर मुंह में दुबारा डाला तो रोज़ा टूट जायेगा और ऐसा आम तौर पर कोई नहीं करता।।
4️⃣: कुछ लोग रोज़े की हालत में तेल खुशबू लगाने और नाफ़ के नीचे के बालों को साफ करने को दुरुस्त नही समझ रहे होते।
*दुरुस्त मसला :* ये काम रोज़े की हालत में जाइज़ है, सूरमा लगाने से भी रोज़ा नही टूटता मग़र काजल का हुक्म सुरमे वाला नहीं इससे परहेज़ किया जाए।
5️⃣:रमज़ान में सेहरी मैं आंख ना खुले और सेहरी खाना छूट जाए तो रोज़ा नही होता।
*दुरुस्त मसला :* सेहरी रोज़े के लिए शर्त नही रात में नियत कर ली जाए या फिर निस्फुन निहार (जिसको अवाम ज़वाल का वक़्त कहती है)का वक़्त शुरू होने से पहले नियत कर ली जाए तब भी ठीक है, लेकिन सेहरी का वक़्त खत्म होने के बाद नियत की जाए तो तीन बातें खास ध्यान में रखी जाएं
*1*: सुबह सहरी का वक़्त ख़त्म होने के बाद से जिस वक़्त नियत कर रहा है उस वक़्त तक जानबूझकर ख़ाना पीना बीबी से जिमा वगेरह ना किया हो
*2*: ये नियत करे के मैं रोज़े का वक़्त शुरू होने से रोज़े से हूं
*3*: निस्फुन निहार का वक़्त शुरू होने के बाद नियत नही हो सकती।
(जिसको अवाम ज़वाल का वक़्त कहती है)
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