सूरह फ़लक़ और सूरए नास के फ़जाइल (1)

 सूरह फ़लक़ और सूरए नास के फ़जाइल (1)

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ

اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ

 हज़रते सय्यिदुना जाबिर बिन अब्दुल्लाह फ़रमाते हैं कि सरकारे वाला तबार ,हम बे कसों के मददगार ,शफ़ीए रोजे शुमार ,दो आलम के मालिको मुख्तार ﷺ ने मुझ से फ़रमाया :- “ऐ जाबिर! पढ़ो।" 

मैं ने अर्ज़ की :- “या रसूलल्लाह! ﷺ मेरे मां बाप आप पर कुरबान! क्या पढूं ?" 

फ़रमाया :- قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِۙ और قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ النَّاسِۙ फिर मैं ने येह दोनों (सूरतें) पढ़ी तो फ़रमाया :- "इन दोनों को पढ़ा करो क्यूं कि तुम इन की मिस्ल हरगिज़ न पढ़ सकोगे।"


(2) हज़रते सय्यिदुना उक्बा बिन आमिर से रिवायत है कि:-

 "मैं एक सफ़र में रसूलुल्लाह ﷺ के साथ था तो आप ﷺ ने फ़रमाया :- “ऐ उक्बा! क्या मैं तुम्हें पढ़ी जाने वाली दो बेहतरीन सूरतें न सिखाऊं ?" 

फिर आप ﷺ ने मुझे قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِۙ और قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ النَّاسِۙ सिखाई।" 


(3) हज़रते सय्यिदुना उक्बा बिन आमिर से रिवायत है कि:-

"मैं रसूलुल्लाह ﷺ के साथ जुहफ़ा और अब्वा (दो मकामात) के दरमियान से गुज़र रहा था कि हमें शदीद आंधी और तारीकी ने घेर लिया तो रसूलुल्लाह ﷺ ने قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ الْفَلَقِۙ और قُلْ اَعُوْذُ بِرَبِّ النَّاسِۙ के जरीए पनाह मांगना शुरू की और मुझे से फ़रमाया :- “ऐ उक्बा! इन दोनों के जरीए पनाह मांगा करो किसी पनाह चाहने वाले ने इस की मिस्ल किसी चीज़ के वसीले से पनाह नहीं मांगी।"

مدنی پنجسورہ ١٢٥

बाकी अगली पोस्ट में..ان شاء الله

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